प्रकाश तंत्र-I में इलेक्ट्रॉन ग्राही होता है-
[2006]
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(c) प्रकाश तंत्र I या प्रकाशकार्य I में, P-700 द्वारा मुक्त इलेक्ट्रॉन लौह-सल्फर प्रोटीन कम्पलेक्स जिसे $A ( FeS )$ से निरूपित किया जाता है, द्वारा ग्रहण किया जाता है। $A ( FeS )$ अपचयित हो जाता है तथा यह उच्च इलेक्ट्रॉनों को आक्सीकृत फेरेडाक्सिन प्रदान करके उसे अपचयित कर देता है। अपचयित $Fd$ से यह इलेक्ट्रॉन $FAD$ तक पहुँच जाते हैं जो $FADH _2$ में अपचयित हो जाता है तत्पश्चात इलेक्ट्रॉन व $H _2, NADP$ से जुड़कर $- NADPH _2$ बनाता है। यहां प्रकाश तंत्र I का समापन होता है।
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