10 kg का कोई उपग्रह 8000 km त्रिज्या की एक कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर प्रत्येक 2h में लगाता है। यह मानते हुए कि बोर का कोणीय संवेग का अभिगृहीत, उसी प्रकार उपग्रह पर लागू होता है जिस प्रकार कि यह हाइड्रोजन के परमाणु में किसी इलेक्ट्रॉन के लिए मान्य है, उपग्रह की कक्षा की क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए।
उदाहरण - 12.5
Download our app for free and get started
SELF STUDY
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
प्रयोग द्वारा यह पाया गया कि हाइड्रोजन परमाणु को एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन में पृथक करने के लिए 13.6eV ऊर्जा की आवश्यकता है। हाइड्रोजन परमाणु में कक्षीय-त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन का वेग परिकलित कीजिए।
क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्रारूपी परमाण्वीय साइज किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्ररूपी साइज की अपेक्षा दस हजार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल, जो अपने पाठ्य-पुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था। अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देखें कि क्या हमें लम्बाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज $\left(\sim 10^{-10} \mathrm{~m}\right)$के बराबर है।
मूल नियतांकों e, me, और c से लम्बाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।
आप पायेंगे कि (a) में प्राप्त लम्बाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें c सम्मिलित है। परन्तु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (nonrelativistic domain) में है जहाँ c की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क नले बोर को c का परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज को प्राप्त करने के लिए 'कुछ अन्य' देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक h का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूक्ष्मदृष्टि ने पहचाना कि h, me, और e के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज प्राप्त होगा। अतः h, me} और e से ही लम्बाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।
गाइगर-मार्सडन प्रयोग में $7.7 \mathrm{MeV}$के किसी ऐल्फ़ा कण की स्वर्ण-नाभिक से क्षण भर के लिए विरामावस्था में आने से पहले तथा दिशा प्रतिलोमन से पूर्व समीपतम दूरी क्या है?
परमाणु के रदरफोर्ड के नाभिकीय मॉडल में, नाभिक (त्रिज्या लगभग$ 10^{-15} \mathrm{~m} )$ सूर्य के सदृश है, जिसके परित: इलेक्ट्रॉन अपने कक्ष (त्रिज्या $\approx 10^{-10} \mathrm{~m}$ ) में ऐसे परिक्रमा करता है जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। यदि सौर परिवार की विमाएँ उसी अनुपात में होतीं जो किसी परमाणु में होती हैं, तो क्या पृथ्वी अपनी वास्तविक स्थिति की अपेक्षा सूर्य के पास होगी या दूर होगी? पृथ्वी के कक्ष की त्रिज्या लगभग $1.5 \times 10^{11} \mathrm{~m}$ है। सूर्य की त्रिज्या 7 $\times 10^{8} \mathrm{~m}$ मानी गई है।
मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फ़ा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14 K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर $1.5 \times 10^{11}$ मी. त्रिज्या की कक्षा में, $3 \times 10^{4} $मी./से. के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए। (पृथ्वी का द्रव्यमान = $6.0 \times 10^{24} \mathrm{~kg})$।