18वीं, 20वीं शताब्दी में जब इंगलैंड में कारखाने स्थापित होने लगे तब बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी इनमें काम करने लगी। लेकिन कुछ समय बाद तकनीक में परिवर्तन के कारण जब कुशल श्रमिकों की आवश्यकता हुई तो इन स्त्रियों को कारखानों से हटाया जाने लगा। कारखानों में काम बंद होने पर स्त्रियाँ घरेलु काम-धंधों में लग गई। कुछ स्त्रियाँ अपने घर ही रहकर कपड़े सिलने, ऊनी वस्त्र बुनने तथा कपड़ा धोने का काम करने लगी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब पुरुष बड़ी संख्या में युद्ध में शामिल होने लगे तथा युद्धकालीन आवश्यक सामग्रियों की मांग बढ़ गई तो लंदन की कामकाजी महिलाओं में फिर से बदलाव आया। वे विभिन्न उद्योगों तथा दफ्तरों में काम करने लगी। इस प्रकार महिलाओं के आर्थिक क्रियाकलापों में महत्वपूर्ण बदलाव आया। औद्योगीकरण तथा प्रथम विश्वयुद्ध इस बदलाव के प्रमुख कारण थे।