1917 ई की क्रांति के पूर्व रूस में रोमोनोव वंश का शासन था। इस वंश के शासन का स्वरूप स्वेच्छाचारी राजतंत्र था। इस वंश के शासकों ने स्वेच्छाचारी राजतंत्र की स्थापना की। रूस का सम्राट जार अपने आपको का ईश्वर का प्रतिनिधि समझता था। वह सर्वशक्तिशाली था। राज्य की सारी शक्तियाँ उसी के हाथों में केन्द्रित थी। उसकी सत्ता पर किसी का नियंत्रण नहीं था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। प्रजा जार और उसके अधिकारियों से भयभीत और त्रस्त रहती थी।