कोई आपदा न तो सूचना देकर आती है न ही इसके कोप का मुक्तभोगी एक व्यक्ति होता है । आपदा आर्थिक भौर सामाजिक दृष्टि से असमान परिवारों में कोई भेद-भाव नहीं करती है । इससे निपटने के लिए समुचित तैयारी की आवश्यकता है और पारिवारिक भागीदारी भी आवश्यक है । इसका प्रभाव जानमाल पर तो पड़ता ही है मानसिक क्लेश भी होता है । इन आपदाओं से निपटने की जिम्मेवारी समाज की सामूहिक रूप से होती है। समाज के अनुभवी लोग आपदाओं का पूर्वानुमान या उनसे निपटने के सर्वोत्तम सुझाव दे सकते हैं । इस प्रकार प्रत्येक परिवार तक उसके लाभ पहुंचाने में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका होती है।