आयात-निर्यात से अभिप्राय: अन्य देशों एवं राज्यों से विभिन्न वस्तुओं को मंगवाना आयात कहलाता है जबकि कुछ वस्तुओं को अपने यहाँ से अन्य देशों एवं राज्यों को भेजना निर्यात कहलाता है।
प्रत्येक वस्तु का उत्पादन एक विशेष भौगोलिक एवं पर्यावरणीय परिस्थिति में किया जाता है। किसी भी वस्तु के उत्पादन हेतु विशेष प्राकृतिक संसाधनों, शारीरिक श्रम, विशेष कौशल व.कई बार कुछ तकनीकों की भी आवश्यकता होती है, जो हर राज्य या देश के पास उपलब्ध हो ऐसा जरूरी नहीं है। अतः किसी स्थान विशेष में जिन वस्तुओं का उत्पादन बहुतायत होता है उसे अन्य स्थानों पर बेचा जाता है तथा जिन वस्तुओं का उत्पादन कम होता है उसे अन्य स्थानों से खरीदा जाता है। इस प्रकार वस्तुओं का विनिमय करना व्यापार कहलाता है। व्यापार राज्यों के मध्य होता है तो अन्तर्राज्यीय व्यापार कहलाता है और जब यह राष्ट्रों के मध्य होता है तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
राजस्थान में आयात-निर्यात की स्थिति: राजस्थान राज्य में जो भी वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं, चाहे कृषि उत्पाद हों, वनोत्पाद हों या फिर औद्योगिक उत्पादन, राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजी जाती हैं। राजस्थान सरसों, ग्वार, अजवाइन, धनिया, मेथी, ईसबगोल, व ऊन के उत्पादन में अग्रणी है। इसके साथ ही जीरा, मोटे अनाज, सोयाबीन, दालों, तिलहन, सब्जियों, लहसुन, संतरे व दुग्ध के उत्पादन में भी राज्य का प्रमुख योगदान है। इनमें से कई वस्तुओं को वैसे का वैसे जबकि कुछ को प्रसंस्कृत करके राज्य से बाहर भेजा जाता है।
राजस्थान शुद्ध रूप से ज्वार, बाजरा, तिलहन, कच्चा सूत, खली, संगमरमर, पत्थर, बांस, सरसों का तेल, निर्मित सूत आदि का आपूर्तिकर्ता है तथा इनका निर्यात अन्य राज्यों को किया जाता है। जबकि अन्य राज्यों से चावल, मिट्टी के तेल, खनिज तेल, बिजली के सामान, मशीनरी, परिवहन उपकरणों आदि का आयात किया जाता है। राजस्थान से अनेक वस्तुएँ दूसरे देशों को भी निर्यात की जाती हैं। जिनमें शामिल हैं-कपड़ा, जवाहरात एवं आभूषण, आयामी संगमरमर पत्थर, ग्रेनाइट तथा अभ्रक पत्थर की वस्तुएँ, ऊन एवं ऊनी कपड़े, रासायनिक सामग्रियाँ, हस्तशिल्प, चमड़ा | एवं चर्म उत्पाद, तैयार वस्त्र, अभियांत्रिकी, कृषि एवं खाद्य उत्पाद, दरियाँ एवं कालीन, धातु (लौह), इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर इत्यादि।
इस प्रकार, राजस्थान राज्य बहुत-सी वस्तुओं के उत्पादन में अग्रणी है तथा यहाँ निर्यात की काफी संभावनाएँ भी हैं, किन्तु पर्याप्त निर्यात हो नहीं पा रहा है। अत: सरकार ने निर्यात संवर्धन की कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे-'राज्य स्तरीय निर्यात पुरस्कार योजना'। साथ ही, 'निर्यात प्रोत्साहन, प्रक्रिया एवं दस्तावेजीकरण' पर प्रशिक्षण कर्यक्रम के तहत उद्यमियों को अपना निर्यात व्यापार शुरू करने हेतु दो दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति, 2019 का निर्माण किया है जिसके अंतर्गत राज्य में कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय व कृषि उत्पादों की निर्यात संभावनाओं को तलाशकर उन अवसरों का लाभ उठाने के प्रावधान करती है।