भारत में अत्यधिक पशुधन होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग नगण्य है। स्पष्ट करें।
स्वाध्याय
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भारत में पशुधन के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल किया जाता है। किन्तु स्थायी चारागाह के लिए बहुत कम भूमि उपलब्ध है जो पशुधन के लिए पर्याप्त नहीं है। अतः पशुपालन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में परती के अतिरिक्त अन्य परती भूमि अनुपजाऊ है। ऐसी भूमि में दो तीन वर्ष में अधिक से अधिक दो बार बोया जा सकता है। अगर ऐसी भूमि को भी शुद्ध बोया गया क्षेत्र में शामिल कर लिया जाय तब भी वर्तमान उपलब्ध क्षेत्रफल का मात्र 54% भूमि ही कृषि योग्य है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का नगण्य योगदान का कारण निम्न है-
  • उन्नत पशुनस्लों की अपर्याप्तता।
  • चारागाह के लिए भूमि की कमी।
  • वैज्ञानिक प्रणाली एवं तकनीकी ज्ञान का अभाव।
  • बढ़ती जनसंख्या का अति दबाव।
  • पूँजी का अभाव इत्यादि।
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