लोकतांत्रिक गणराज्य-भारतीय संविधान की पहली विशेषता है कि यह लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह बताता है कि सरकार की वास्तविक शक्ति का संपूर्ण स्रोत ‘गण’ अर्थात् जनता में है।
विशाल एवं लिखित संविधान भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक विशाल संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियाँ हैं । इसमें संघ और राज्यों की व्यापकता से वर्णन है।
समाजवादी राज्य-42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में । भारत को समाजवादी राज्य घोषित किया गया । जो सामाजिक नीति पर आधारित है, जो उत्पादन के साधनों पूँजी, जमीन, सम्पत्ति आदि का सम्पूर्ण द्वारा नियंत्रण तथा स्वामित्व का समर्थन करता है।
सम्प्रभुता-भारत को सम्प्रभुत्व गणराज्य बनाया गया है। इस पर अब किसी बाहरी शक्ति का नियंत्रण नहीं रहा । यहाँ शासन की शक्ति जनता के हाथ में है; जिसका प्रयोग वह अपने प्रतिनिधियों के द्वारा करता है।
धर्मनिरपेक्षता यहाँ राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
संसदीय शासन प्रणाली—इस शासन व्यवस्था के अन्तर्गत शासन की वास्तविक सत्ता मंत्रिपरिषद् में निहित होती है और मंत्रिपरिषद् का नियंत्रण व्यवस्थापिका द्वारा होता है। राष्ट्रपति और राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होते हैं।
संघीय शासन प्रणाली-भारत राज्यों का एक संघ है । संविधान ने शासन शक्ति एक स्थान पर केन्द्रित न करके केन्द्र और राज्य सरकारों में विभाजित कर दी है। यहाँ भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है, तथापि व्यावहारिक रूप में उसकी आत्मा एकात्मक है।
स्वतंत्र न्यायपालिका-भारतीय संविधान सारे देश के लिए न्याय प्रशासन की एक व्यवस्था करता है जिसके शिखर पर उच्चतम न्यायालय है। न्यायपालिका को कार्यकारिणी के दबाव और नियंत्रण से स्वतंत्र होना आवश्यक है। स्वतंत्र न्यायपालिका प्रजातंत्र की आधारशिला है ।
मौलिक अधिकार एवं मूल कर्त्तव्य-संविधान द्वारा नागरिकों को, मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जैसे–समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता, शिक्षा के अधिकार आदि 42वें संशोधन, 1976 में 10 मूल कर्त्तव्यों की चर्चा है जिनमें वैधानिक व्यवस्थाओं का पालन, राष्ट्रध्वज का सम्मान करना, राष्ट्रगान का सम्मान करना आदि कर्त्तव्य हैं।
राज्य के नीति निदेशक तत्व-इसका मुख्य लक्ष्य है लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ।
वयस्क मताधिकार-हर 18 वर्ष से ऊपर पुरुष एवं स्त्री को मत देने का अधिकार प्राप्त है। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं
एकल नागरिकता-सभी नागरिकों को एक ही नागरिकता प्राप्त है, वह है भारत की नागरिकता।
एक राष्ट्रभाषा की व्यवस्था भारतीय संविधान में कई भाषाओं को मान्यता प्राप्त है पर हिन्दी को राष्ट्रभाषा माना गया है।
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