यूनियन कार्बाइड में खुलेआम सुरक्षा मानकों की अवहेलना के कारण- यूनियन कार्बाइड संयंत्र में सुरक्षा मानकों की खुलेआम अवहेलना के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(1) ढीले सुरक्षा मानक- भारत में उस समय सुरक्षा कानून ढीले थे। ढीले सुरक्षा मानकों से कम्पनी को फायदा मिला।
(2) सरकार द्वारा ठीक ढंग से कानूनों का क्रियान्वयन नहीं- ढीले सुरक्षा कानूनों को भी सरकार द्वारा ठीक ढंग से लागू नहीं किया जा रहा था। यथा-
(i) सरकारी अफसर इस कारखाने को खतरनाक कारखानों की श्रेणी में रखने को तैयार नहीं थे।
(ii) इस कारखाने को घनी आबादी वाले इलाके में खोलने पर सरकार ने कोई ऐतराज नहीं किया। जब भोपाल के कुछ नगर निगम अधिकारियों ने इस बात पर उँगली उठाई कि 1978 में मिक उत्पादक कारखाने की स्थापना सुरक्षा मानकों के खिलाफ थी तो सरकार का कहना था कि प्रदेश को भोपाल के संयंत्र में लगातार निवेश चाहिए ताकि रोजगार मिलते रहें।
(iii) सरकार की राय में यूनियन कार्बाइड से इस बात की मांग करना असंभव था कि वह साफ-सुथरी तकनीक या ज्यादा सुरक्षा प्रक्रियाओं को अपनाए।
(iv) सरकारी निरीक्षक कारखाने में अपनाई जा रही दोषपूर्ण प्रक्रियाओं को बार-बार मंजूरी देते रहे। जब कारखाने में बार-बार गैस का रिसाव होने लगा और सबको यह बात समझ में आ चुकी थी कि कहीं कुछ भारी गड़बड़ी चल रही है, तब भी निरीक्षकों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
(3) कंपनी द्वारा सुरक्षा उपायों की अनदेखी- कम्पनी ने भी लागत में कमी लाने के लिए सुरक्षा उपायों की अनदेखी की। यूनियन कार्बाइड के कारखाने में एक भी सुरक्षा उपकरण या तो सही ढंग से काम नहीं कर रहा था या उनकी संख्या कम थी। मजदूरों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण की अवधि भी 6 महीने से घटाकर 15 दिन कर दी गई थी। मिक कारखाने के लिए रात की पाली के मजदूर का पद ही खत्म कर दिया गया था।
इससे स्पष्ट होता है कि कानून बनाने और उसे लागू करने वाली संस्था - सरकार - ने सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया। लोगों के हितों की रक्षा करने के स्थान पर सरकार और कंपनी, दोनों ही उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज करती गईं।