बिहार में ऊर्जा का कोई भी स्रोत विकसित नहीं है। इस क्षेत्र में कुछ इकाई विकसित भी है तो वह परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में तापीय विद्युत केन्द्र है।
बिहार में तापीय विद्युत के मुख्य केन्द्र कहलगाँव, कांटी और बरौनी में स्थित है।
कहलगांव की उत्पादन क्षमता 840 मेगावाट है, कांटी की उत्पादन क्षमता 120 मेगावाट और बरौनी की 145 मेगावाट है।
बाढ़ और नवीनगर तापीय विद्युत केन्द्र निर्माणाधीन हैं।
यहाँ सोन, गंडक और कोसी तीन प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएं भी हैं जिनसे 44.10 मेगावाट जल विद्युत उत्पन्न हो रहा है। कुछ योजनाएं प्रस्तावित भी हैं।
गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में बायोगैस, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की संभावनाएं हैं परन्तु विकसित नहीं है।
बायोगैस के अबतक 1.25 लाख संयंत्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित किए जा चुके हैं।