चित्र में विभिन्न आकार के समतल लूप जो चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं अथवा क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं, दिखाए गए हैं। चुंबकीय क्षेत्र लूप के तल के अभिलंबवत किंतु प्रेक्षक से दूर जाते हुए हैं। लेंज के नियम का उपयोग करते हुए प्रत्येक लूप में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात कीजिए।
एक मीटर लंबी धातु की एक छड़ को 50 चक्कर/सेंकड की आवृत्ति से घुमाया गया है। छड़ का एक सिरा वृत्ताकार धात्विक वलय जिसकी त्रिज्या 1 मीटर है, के केन्द्र पर तथा दूसरा सिरा वलय की परिधि पर कब्ज़े से इस प्रकार जुड़ा है कि छड़ की गति वलय के केन्द्र से जाने वाले तथा वलय के तल में अभिलंबवत अक्ष के परित: है। अक्ष के अनुदिश एक स्थिर तथा एकसमान चुंबकीय क्षेत्र 1 T सर्वत्र उपस्थित है। केन्द्र तथा धात्विक वलय के बीच विद्युत वाहक बल क्या होगा?
चित्र को देखिए। आयताकार चालक की भुजा PQ को x = 0 से दायीं ओर चलाया जाता है। एकसमान चुंबकीय क्षेत्र तल के लंबवत है तथा x = 0 से x = b तक विस्तारित है तथा x > b के लिए शून्य है। केवल भुजा PQ में ही पर्याप्त प्रतिरोध r है। उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब भुजा PQ को x = 0 से x = 2b तक, बाहर की ओर खींचा जाता है तथा पुनः स्थिर चाल v से x = 0 तक वापस ले जाते हैं। प्लक्स. प्रेरित विद्युत वाहक बल, भुजा को खींचने के लिए आवश्यक बल तथा जूल ऊष्मा के रूप में क्षयित शक्ति के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। इन राशियों में दूरी के साथ होने वाले परिवर्तन का ग्राफ भी खींचिए।