(c) जब परिपथ टूटेगा तो प्रेरित वि.वा.ब. अधिकतम होगी।
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$C$ धारिता के एक संधारित्र को $V_1$ विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। फिर इसकी प्लेटों को एक $L$ प्रेरकत्व के एक आदर्श प्रेरक से जोड़ दिया गया है। जब संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर कम होकर $V_2$ हो जाय तो प्रेरक से बहने वाली धारा होगी?
किसी स्त्रोत जिसका emf, $V=10 \sin 340 t$ है, से श्रेणी में $20 mH$ का प्रेरक, $50 \mu F$ का संधारित्र तथा $40 \Omega$ का प्रतिरोधक संयोजित है। इस प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में शक्ति क्षय है:
दिये गये परिपथ में प्रेरण $L$ तथा संधारित्र $C$ के साथ $A _1$ तथा $A _2$ दो अमीटर जोड़े गये हैं। यदि कुंजी $K$ दबा दी जाए तो तुरन्त $A _1$ तथा $A _2$ का पाठ्यांक होगा:
एक ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली में 500 फेरे हैं तथा द्वितीयक कुण्डली में 5000 फेरे हैं। प्राथमिक कुण्डली को $20 V , 50 Hz A . C$. से जोड़ा जाता है। द्वितीयक से कितना निर्गत मिलेगा?
एक श्रेणीबद्ध $\text{LCR}$ परिपथ में $C =10 \mu F$ एवं $\omega=1000$ सेकेण्ड ${ }^{-1}$ हैं। परिपथ में महत्तम धारा के लिये प्रेरकत्व $L$ का मान कितना होना चाहिये?
$100 W$ और $110 V$ के एक बल्ब को $220 V$ की सप्लाई से प्रदीप्त करने के लिए एक ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया गया है। यदि सप्लाई का धारा मान $0.5$ ऐम्पियर हो तो ट्रांसफार्मर की दक्षता होगी, लगभग