एक पुष्प में, लैंगिक जनन की परिघटनाओं का सही क्रम है-परागण, निषेचन, भ्रूण, नवोद्भिद्। परागण में, परागकणों का स्थानांतरण परागकोष से वर्तिकाग्र पर होता है, जिसके बाद निषेचन की क्रिया पूर्ण होती है। जिसके दौरान नर एवं मादा युग्मक संलयित हो जाते हैं और भ्रूण का निर्माण करते हैं जो युग्मक निर्माण को प्रेरित करता है। निषेचित अण्ड बीज बन जाते हैं तथा बीज अंकुरित होकर नवोद्भिद् में बदल जाते हैं।