गंगा के दक्षिणी मैदान में केवाली मिट्टी पाई जाती है। बक्सर, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, जहानाबाद, पटना, नालन्दा, बाढ़, मुंगेर और भागलपुर के मैदानी भाग में बांगर या पुरानी जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है। कुछ स्थानों पर तीन-चार महीने तक बाढ़ का पानी एकत्र हो जाने से विशाल ‘ताल’ का रूप ले लेता है। इसमें बड़हिया ताल सबसे बड़ा है। इसमें पानी सूखने पर दलहन की अच्छी उपज ली जाती है। ताल के ऊपर के क्षेत्र केवाली मिट्टी के हैं। इसमें समुचित वर्षा के अभाव में सिंचाई का सहारा लिया जाता है और अच्छी उपज ली जाती है।