हाँ, इस पाठ को पढ़ने के बाद मुझे न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष लगी। पाठ में विनोद और अवधेश के बीच विवाद का ब्यौरा दिया गया है। अवधेश ने जमीन के मामले में विनोद की पिटाई कर उसका हाथ तोड़ दिया । पुलिसिया कार्रवाई के बाद अवधेश को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया ।
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कचहरी में उसकी पेशी हुई फिर कई पेशियों के बाद मजिस्ट्रेट ने अवधेश को विनोद की गंभीर पिटाई का दोषी मानकर उसे चार साल की कैद की सजा सुनाई।
विनोद ने अपने वकील की सलाह पर मजिस्ट्रेट के ऊपर के सत्र न्यायालय में अपील की जहाँ उसकी सजा चार साल से तीन साल कर दी गयी।
फिर इस फैसले से भी असंतुष्ट होकर विनोद ने उच्च न्यायालय में अपील की जहाँ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सत्र न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा । अंत में विनोद को जेल जाना पड़ा। इस पूरे प्रकरण से न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता का पता चलता है।