जब कोई हाइड्रोजन परमाणु स्तर n से स्तर (n - 1) पर व्युत्तेजित होता है तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए। n के अधिक मान हेतु, दर्शाइए कि यह आवृत्ति, इलेक्ट्रॉन की कक्षा में परिक्रमण की क्लासिकी आवृत्ति के बराबर हैं।
Exercise - 12.13
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मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फ़ा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14 K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा,या आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर $1.5 \times 10^{11}$ मी. त्रिज्या की कक्षा में, $3 \times 10^{4} $मी./से. के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए। (पृथ्वी का द्रव्यमान = $6.0 \times 10^{24} \mathrm{~kg})$।
परमाणु के रदरफोर्ड के नाभिकीय मॉडल में, नाभिक (त्रिज्या लगभग$ 10^{-15} \mathrm{~m} )$ सूर्य के सदृश है, जिसके परित: इलेक्ट्रॉन अपने कक्ष (त्रिज्या $\approx 10^{-10} \mathrm{~m}$ ) में ऐसे परिक्रमा करता है जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। यदि सौर परिवार की विमाएँ उसी अनुपात में होतीं जो किसी परमाणु में होती हैं, तो क्या पृथ्वी अपनी वास्तविक स्थिति की अपेक्षा सूर्य के पास होगी या दूर होगी? पृथ्वी के कक्ष की त्रिज्या लगभग $1.5 \times 10^{11} \mathrm{~m}$ है। सूर्य की त्रिज्या 7 $\times 10^{8} \mathrm{~m}$ मानी गई है।
यदि बोर का क्वांटमीकरण अभिगृहीत (कोणीय संवेग $= \frac{nh}{2 \pi}$प्रकृति का मूल नियम है तो यह ग्रहीय गति की दिशा में भी लागू होना चाहिए। तब हम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के क्वांटमीकरण के विषय में कभी चर्चा क्यों नहीं करते?
क्लासिकी वैद्युतचुंबकीय सिद्धांत के अनुसार, हाइड्रोजन परमाणु में प्रोटॉन के चारों ओर परिक्रामी इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्सर्जित प्रकाश की प्रारंभिक आवृत्ति परिकलित कीजिए।
प्रयोग द्वारा यह पाया गया कि हाइड्रोजन परमाणु को एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन में पृथक करने के लिए 13.6eV ऊर्जा की आवश्यकता है। हाइड्रोजन परमाणु में कक्षीय-त्रिज्या तथा इलेक्ट्रॉन का वेग परिकलित कीजिए।