जीन के स्तर होने वाले छोटे परिवर्तन कहे जाते हैं-
[1999]
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(a) जीन उत्परिवर्तन या बिन्दु उत्परिवर्तन जीन-प्रकटन में परिवर्तन होता है जो संख्या शृंखला व न्यूक्लियोटाइड्स में परिवर्तन के कारण होता है। वन्य जीन प्रकार से नये प्रकार में उत्परिवर्तन होना अग्रगामी उत्परिवर्तन कहलाता है। उत्परिवर्तित जीन का प्रतिगामी होकर वन्य प्रकार में परिवर्तन होना प्रतिगामी उत्परिवर्तन (व्युत्क्रम उत्परिवर्तन) कहलाता है। गुणसूत्रों की आकारिकी में परिवर्तन होना गुणसूत्री उत्परिवर्तन कहलाता है।
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