(d) कैल्सिटॉनिन का तीव्र प्रभाव लक्ष्य कोशिकाओं पर पड़ता है जिनमें मुख्यतः सम्मिलित हैं वृक्क तथा अस्थि कोशिकाएं अस्थि पुन: अवशोपण से संबंधित PTH तथा कैल्सिटानिन का कार्य एक दूसरे के विरोधी होता है परंतु रीनल ट्यूबलर द्वारा फास्फोरस के पुन: अवशोपण में कमी आती टै, इस प्रक्रिया में इसका कार्य सटयोगात्मक टोता है। इंसुलिन तथा ग्लूकेगान एक दूसरे के सटयोगात्मक रूप से कार्य करते टैं जिससे रक्त शर्करा की सांद्रता को सामान्य रखने में सटायता मिलती है। रक्त शर्करा के सान्द्रण में वृद्धि टोने पर इंसुलिन का स्रावण प्रारंभ टो जाता टै तथा शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज का परिवचन होने लगता है। पोटैशियम विखंडन, रेनिन एंजियोटेंसिन तंत्र, डोथामइन तथा एट्रियल माट्रीयूरेटिक कारक के द्वारा एल्डोस्टेरान का स्पवण अवरोधित हो सकता है। बाद वाला कारक एल्डोस्टेरान के स्रावण में एक मटत्वपूर्ण शरीर क्रिया नियंत्रक के रूप में कार्य करता है। ए.एन.एफ. वेसल, ए.सी.टी.एच. के एंजियोटेंसिन II तथा इन विट्रो पोटैशियम प्रेरित एल्डोस्ट्रेरान के उत्पादन को रोकता है। अण्डाशय के ग्रेन्यूलोसा कोशिकाओं द्वारा इनटीबिन नामक द्रार्मोन का स्रावण होता है जो FSH (पुटिका प्रेरक हार्मोन) के स्रावण को रोकता टै। जबकि अण्डाशय तथा प्लेसेंटा द्भारा उत्पन्न रिलैक्सिन श्रोणि तंतुओं को मुलायम बनाता चै तथा गर्भाशय ग्रीवा को चौड़ा करता है।