जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नांकित हैं
- पर्याप्त वर्ष भर जलापूर्ति या जल का वर्ष भर बहाव मिलना
- पहाड़ी भूमि या जलप्रपात का होना
- विद्युत् की माँग अर्थात् खपत का व्यापक क्षेत्र
- तकनीकी ज्ञान
- पूँजी और दूसरे ऊर्जा के स्रोतों का कम मिलना।
भारत में ये सभी दशाएं उपलब्ध हैं। खासकर दक्षिण भारत में जहाँ कोयला और पेट्रोलियम का अभाव है। खनिजों में धनी प्रायद्वीपीय भास्त आर्थिक विकास के लिए सस्ती जल विद्युत् की मांग रखता है। भारत में जल विद्युत का पहला केन्द्र वहीं खुला, जो बाद में ग्रिड प्रणाली के द्वारा अधिक केन्द्र एक-दूसरे से जोड़ दिए गए हैं। ताकि दूर-दूर तक बिजली उपलब्ध करायी जा सके।
जल-विद्युत् अन्य शक्ति के साधनों से सस्ता पड़ता है। इसलिए दक्षिण भारत में जल विद्युत् से उद्योगों को बढ़ाने में बड़ी सहायता मिली है।
भारत की 60% संभावित जल शक्ति हिमाचल क्षेत्र में है जिसका आधा से अधिक भाग ब्रह्मपुत्र क्षेत्र और मणिपुर क्षेत्र में मिलता है। 20% जलशक्ति भारत की पश्चिम की ओर बहनेवाली नदियों से मिलती है।