जॉलवेराइन' की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई? इसका क्या महत्त्व था?
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ग्यारह सीमा शुल्क नाकों से गुजरना पड़ता था और हर बार लगभग 5% सीमा शुल्क देना पड़ता था। ये परिस्थितियाँ आर्थिक विनिमय और विकास में बाधक थीं।
1834 में प्रशा की पहल पर 'जॉलवेराइन' नामक एक शुल्क संघ की स्थापना हुई जिसमें अधिकांश जर्मन-राज्य सम्मिलित हो गए थे। इस संघ ने आर्थिक अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो उससे पहले 30 से ऊपर थी। इससे आर्थिक दृष्टि से समस्त जर्मनी एक हो गया।
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