उदयपुर के महाराणा अमरसिंह (द्वितीय) की पुत्री चंद्रकुंवर बाई का विवाह सवाई जयसिंह के साथ 1708 ई. में इसी शर्त पर हुआ कि मेवाड़ की राजकुमारी से उत्पन्न पुत्र ही जयपुर के सिंहासन पर बैठेगा। लेकिन 1743 ई. में सवाई जयसिंह की मृत्यु के बाद सवाई जयसिंह का ज्येष्ठ पुत्र ईश्वरसिंह गद्दी पर बैठा। इसके प्रतिक्रिया में मेवाड़ की राजकुमारी चंद्रकुंवर बाई से उत्पन्न पुत्र ने अपने मामा महाराणा जगतसिंह (द्वितीय) के सहयोग से ईश्वरसिंह को चुनौती दी। मराठा सरदार मल्हार राव होल्कर द्वारा भी माधोसिंह का | पक्ष लिया गया। परिणामत: दोनों के मध्य 'राजमहल' और 'बगरू' के युद्ध हुए। अन्ततः अपने सेनापति हरगोविन्द नाटाणी की कुटिलता से ईश्वरसिंह को आत्महत्या करनी पड़ी और माधोसिंह मराठों के सहयोग से जयपुर का शासक बन गया।