भूतत्ववेत्ताओं के अनुसार प्रकृति में स्वतः पाए जाने वाले,ऐसे पदार्थ जिनकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है, खनिज कहलाते हैं। ये चट्टानों में अयस्क के रूप में पाये जाते ‘ हैं। इसकी उत्पत्ति पृथ्वी के अन्दर विभिन्न भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा होती है। यह एक प्राकृतिक और अनवीकरणीय संसाधन है। इसे मनुष्य द्वारा बनाया नहीं जा सकता है।
सामान्यतः खनिज दो प्रकार के होते हैं
(i) धात्विक
(ii) अधात्विक
(i) धात्विक खनिज- ऐसे खनिज होते हैं जिन्हें शुद्ध करने के बाद चूर्ण बनाकर इच्छित रूप में ढाला जा सकता है। इसमें कठोरता और चमक होती है जैसे सोना, चाँदी, लोहा, तांबा, बॉक्साइट आदि। धात्विक खनिजों को पुनः लौह तथा अलौह खनिजों में बांटा गया है।
(ii) अधात्विक खनिज- इसमें चमक और कठोरता नहीं होती है। कूटने या पीटने पर ये पाउडर में बदल जाते हैं। उदाहरण के रूप में चूना पत्थर, नाइट्रेट, पोटाश, डोलोमाइट, अभ्रक, . जिप्सम आदि।.