(d) विसर्पी या फिसलने वाली सन्धि में सन्धि स्थान पर दोनों अस्थियाँ एक दूसरे पर फिसल सकती है। यह गति शान्त एवं सीमित होती है। इस प्रकार की सन्धि, रेडिया-अल्ना कलाई के मध्य, कशेरुकिओं के सन्धि प्रवर्धों के मध्य पायी जाती है। उपास्थियुक्त जोड़ पादों कशेरुक दण्ड की समस्त तथा करोटि की कुछ अस्थियों में पाये जाते है घुराग्र या खुंटीदार सन्धि स्तनधारियों मे दूसरे कशेरुक के आडोन्टाइड प्रवर्ध के ऊपर करोटि का धारण किए हुए एटलस कशेरुक का घूमना घुराग्र सन्धि को प्रदर्शित करता है। कोहनी ( ह्यूमरस तथा रेडियो अल्ना के मध्य) अंगुलियों के पोर कब्जा सन्धि के उदाहरण हैं।