मनुष्यों में, $X -$ गुणसूत्र पर उपस्थित अप्रभावी जीन सदैव होते हैं-
[2004]
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(c) नरों में केवल एक $X$-गुणसूत्र होता है अतः कोई भी जीन जो अकेले $X$-गुणसूत्र पर स्थित होता है नरों में स्वयं को अभिव्यक्त करता है। उत्परिवर्तक एलील के स्वंय को दर्शरूप में अभिव्यक्त करने के लिए दोनों $X -$ गुणसूत्रों पर उपस्थित होना चाहिए। यदि एलील की एक ही प्रतिलिपि स्थित हो तो केवल मादा वाहक हो जाती है तथा जीन बाह्य रूप से प्रदर्शित नहीं होता। उप घातक अवस्था में नरों में कभी उत्पन्न नहीं होती।
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