मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या योगदान दिया?
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स्वप्रयत्न
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  • 1
    "मुद्रण संस्कृति ने 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति की पृष्ठभूमि तैयार की।" इस कथन के पक्ष में कोई तीन बिन्दु लिखिए।
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  • 2
    मुद्रण-युग से पहले भारत में पांडुलिपियों की परम्परा का वर्णन कीजिए एवं उनकी त्रुटियों पर प्रकाश डालिए।
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  • 3
    "यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जुनून पैदा हो गया।" विवेचना कीजिए।
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  • 4
    "उन्नीसवीं सदी में साक्षरता के प्रसार से यूरोप में बच्चों, महिलाओं और मजदूरों के रूप में बड़ी मात्रा में नया पाठक वर्ग तैयार हुआ।" विवेचना कीजिए।
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    गरीब पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए क्या-क्या प्रयास किये गये? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
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    भारत में 19वीं शताब्दी के मुद्रण ने न केवल विभिन्न समुदायों के विरोधाभासी विचारों के प्रकाशन को प्रेरित किया, अपितु उन्हें आपस में जोड़ा भी। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
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  • 7
    19वीं सदी के अन्त में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया?
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  • 8
    19वीं सदी के अंत में मुद्रण संस्कृति ने महिलाओं को किस प्रकार प्रभावित किया?
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  • 9
    19वीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर हुआ?
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  • 10
    गरीब पाठकों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए कौन-कौन से प्रयास किये गये? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
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