इटली का एकीकरण-इटली के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(1) इटली के एकीकरण में मेत्सिनी का योगदान- मेत्सिनी इटली का एक महान क्रान्तिकारी नेता था। उसने 1831 में 'यंग इटली' और 1833 में 'यंग यूरोप' नामक क्रान्तिकारी संस्थाओं की स्थापना कर इनके माध्यम से इटलीवासियों में राष्ट्रीयता, देश-भक्ति, त्याग तथा बलिदान की भावनाएँ उत्पन्न की।
(2) इटली के एकीकरण में कावूर का योगदान- कावूर सार्डीनिया-पीडमांट का प्रधानमन्त्री था। उसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1859 में सार्जीनिया-पीडमांट ने फ्रांस की सैनिक सहायता प्राप्त कर आस्ट्रिया की सेनाओं को पराजित किया। इसके फलस्वरूप लोम्बार्डी को सार्जीनिया पीडमांट में मिला लिया था। 1860 में परमा, मोडेना तथा टस्कनी को भी सार्डीनिया-पीडमांट में मिला लिया गया।
(3) इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान- गैरीबाल्डी इटली का एक महान स्वतन्त्रता सेनानी था। 1860 में गैरीबाल्डी ने एक हजार रेड शर्ट दल के स्वयंसेवकों को लेकर सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और शीघ्र ही सिसली और नेपल्स पर गैरीबाल्डी का अधिकार हो गया तथा जनमत संग्रह के आधार पर सिसली तथा नेपल्स को सार्जीनिया पीडमांट में मिला लिया गया। 1861 में विक्टर इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का सम्राट घोषित किया गया।
(4) इटली के एकीकरण में विक्टर इमेनुएल द्वितीय का योगदान- 1866 में आस्ट्रिया तथा प्रशा के बीच युद्ध छिड़ गया। इस अवसर पर इटली ने आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया। इस युद्ध में आस्ट्रिया की पराजय हुई और वेनेशिया का प्रदेश इटली को प्राप्त हुआ। 1870 में जब प्रशा और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ गया था तब इटली ने इस स्थिति का लाभ उठाते हुए रोम पर आक्रमण कर दिया और 20 सितम्बर, 1870 को रोम पर अधिकार कर लिया। 1870 में रोम को इटली में मिला लिया गया।