नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता - इलेक्ट्रॉनिक तथा
त्रिविम विन्यासी प्रभावों के कारण नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए ऐल्डिहाइड की क्रियाशीलता कीटोन से अधिक होती है क्योंकि ऐल्डिहाइडों में कार्बोनिल समूह के कार्बन से केवल एक ऐल्किल समूह जुड़ा होता है जबकि कीटोन में दो ऐल्किल समूह जुड़े होते हैं, जिनकी त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण कार्बोनिल कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण मुश्किल हो जाता है तथा इन ऐल्किल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण ये कार्बोनिल कार्बन के धनावेश को कम कर देते हैं जिसके कारण नाभिकस्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में ऐल्किल समूहों का आकार बढ़ने पर इनकी क्रियाशीलता कम होती जाती है, क्योंकि +I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा बढ़ती है।
