नगरीय स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ-नगरीय स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है
(1) तीन प्रकार की संस्थाएँ:
नगरीय स्थानीय स्वशासन संस्थाएँ तीन प्रकार की होती हैं -
- नगर निगम
- नगर परिषद तथा
- नगरपालिका बोर्ड।
वे बड़े शहर जहाँ जनसंख्या 5 लाख से ज्यादा हो, तथा सालाना आय एक करोड़ से ज्यादा होने पर, वहाँ नगर निगम बनाया जाता है। जिन शहरों की जनसंख्या एक लाख से ज्यादा व पाँच लाख से कम होती है, वहाँ नगरपरिषदों की स्थापना होती है और वे शहर जहाँ जनसंख्या 15 हजार से एक लाख तक के बीच होती है, वहाँ पर नगरपालिका बोर्ड बनाए जाते हैं।
(2) प्रतिनिधियों का निर्वाचन:
शहर को अलग-अलग क्षेत्रों में बाँटा जाता है, जिसे वार्ड कहते हैं। हर वार्ड से वहाँ की जनता एक प्रतिनिधि (जिसे पार्षद कहा जाता है) चुनकर इन संस्थाओं में भेजती है। इनका दायित्व अपने वार्ड के विकास को देखना होता है। ये पार्षद मिलकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को चुनते हैं जिनको अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। नगर निगम का अध्यक्ष महापौर, नगर परिषद के अध्यक्ष सभापति और नगरपालिका का अध्यक्ष नगरपालिकाध्यक्ष कहलाता है।
(3) आरक्षण की व्यवस्था:
इन शहरी संस्थाओं के चुनाव में 74वें संविधान संशोधन के अनुसार कम से कम एक तिहाई वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित रखने की व्यवस्था है। इसी तरह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी स्थानों का आरक्षण जनसंख्या। में उनके अनुपात के अनुसार किया जाता है। यह आरक्षण की व्यवस्था उनके द्वारा उनकी हस्सेदारी को बढ़ाने के लिए| किया जाता है ताकि इन वर्गों का प्रतिनिधित्व बढ़े।
(4) कार्य-इन शहरी संस्थाओं के दो तरह के कार्य होते हैं।
(अ) अनिवार्य कार्य और (ब) ऐच्छिक कार्य।
यथा -
(अ) अनिवार्य कार्य-इन संस्थाओं के प्रमुख अनिवार्य कार्य ये है -
शहर के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था करना; सड़कों पर रोशनी व सफाई की व्यवस्था करना; जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करना तथा दमकल की व्यवस्था करना है।
(ब) ऐच्छिक कार्य -
इन संस्थाओं के ऐच्छिक कार्य हैंसार्वजनिक बाग, स्टेडियम, वाचनालय, पुस्तकालय आदि का निर्माण करना, वृक्षारोपण करना, आवारा पशुओं से नगर को छुटकारा दिलाना, मेले-प्रदर्शनियों का आयोजन करना तथा रैन बसेरों की व्यवस्था करना।
(5) आय के स्रोत -
इन संस्थाओं को तीन माध्यमों से पैसा मिलता है। यथा -
- ये केन्द्र और राज्य सरकारों से राशि प्राप्त करती हैं।
- ये विभिन्न शुल्क लगाकर और जुर्माने के द्वारा पैसा प्राप्त करती हैं।
- ये अपने शहरवासियों पर विभिन्न कर लगाकर उससे पैसा प्राप्त करती हैं।