नील की खेती कितने प्रकार की थी?
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नील की खेती मुख्यतः दो प्रकार की थी- (1) निज और (2) रैयती।
निज खेती में बागान मालिक खुद अपनी जमींन पर नील का उत्पादन करते थे, जबकि रैयती में दूसरे की जमीन को भाड़े पर लेकर और मजदूरों को काम पर लगाकर नील की खेती करवाते थे।
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