अधिक-से-अधिक कच्चा माल जुटाकर इससे बहुमूल्य और अधिक उपयोगी वस्तुओं का अधिकाधिक उत्पादन करने की प्रक्रिया ही निर्माण उद्योग है, अपनी कार्यकुशलता और तकनीकी ज्ञान से जब मानव प्राथमिक उत्पादों को गौण उत्पादों में परिवर्तित करता है तो उसका यह प्रयास और क्रियाशीलन निर्माण उद्योग या सिर्फ निर्माण कहलाता है। उदाहरण के लिए, गन्ने के 10 टन रस से 1 टन चीनी ही बनती है, परन्तु इसका मूल्य रस के मूल्य से 10 गुना हो जाता है। इसी प्रकार कच्चे माल बहुत सस्ते होते हैं, परन्तु उनसे बना माल मूल्यवान हो जाता है। जंगल में पेड़ के पत्ते का कोई मूल्य नहीं, परन्तु उसी से पत्तल बनाकर बेचने पर आमदनी होने लगती है।