परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र का एक कार्य है
[1990]
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(d) अनुकम्पी तन्त्र शरीर को तनाव अथवा विपत्तिकाल के लिए तैयार करता है जबकि परानुकम्पी तन्त्र विश्रामावस्था से जुड़ा है। अतः जब कोई व्यक्ति तनाव अथवा विपत्तिकालीन अवस्था का सामना कर रहा होता है तो अनुकम्पी तन्त्र नेत्र की की पुतिलयों को फैला देता है जिससे अधिक प्रकाश प्रवेश कर सके जबकि विश्रामावस्था में परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र पुतलियों को संकुचित कर इन्हें सामान्यावस्था में लाता है।
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