पूरन और जूही हमेशा उस दुकान से ही सामान खरीदते हैं, क्योंकि वह दुकान उनके मोहल्ले में ही हैं और वहाँ के सामान भी अच्छे किस्म के होते हैं। उस दुकान से उनके घर में एक बार में एक महीने का राशन जाता है। पूरन और जूही सामानों की लिस्ट बनाकर दुकान में दे देते हैं और सामान मिलने पर वह दुकानदार से सामानों के दाम लिखकर एक कागज पर ले लेते हैं और जब उनके पापा को वेतन मिलता है तो वे दुकानदार को पैसे दे देते हैं। दुकानदार के रजिस्टर पर भी उनके द्वारा लिए गए सामानों की लिस्ट होती है।
अपनी वस्तुओं को ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए वे लोग दाम कम करते हैं। जैसे-अगर कोई दुकानदार अपनी किसी वस्तु का मूल्य 10 रु. बताता है और खरीददार उसे नहीं खरीदता है तो दूसरा दुकानदार अपनी उसी वस्तु का दाम 9 रु. बताकर उसे बेच देता है। फिर यहाँ पर अलग-अलग दुकान होने से खरीददारों को मोल-भाव करने का भी पूरा मौका मिलता है और वे वस्तुओं का दाम कम करवा लेते हैं। फिर दुकानदारों को सुबह दुकान लगाकर शाम तक हटाना भी होता है इसलिए वे लोग वस्तुओं का दाम कर ज्यादा से ज्यादा वस्तुएँ बेचने की कोशिश करते हैं।