बोल्शेविक क्रांति की नीतियों से वैसे लोग व्यग्र हो गए जिनकी संपत्ति और अधिकारों को नई सरकार ने छीन लिया था। अतः सामंत, पादरी, पूँजीपति नौकरशाह सरकार के विरोधी बन गए। वे सरकार का तख्ता पलटने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें विदेशी सहायता भी प्राप्त थी। लेनिन ने प्रति क्रांतिकारियों का कठोरतापूर्वक दमन करने का निश्चय किया। इसके लिए चेका नामक विशेष पुलिस दस्ता का गठन किया गया। इसने निर्मतापूर्वक हजारों षड्यंत्रकारियों को मौत के घाट उतार दिया। चेका के लाल आतंक ने षड्यंत्रकारियों की कमर तोड़ दी।