शारीरिकी की दृष्टि से काफी पुरानी द्विबीजपत्रीय जड (मूल) द्विबीजपत्री स्तम्भ से किसके आधार पर अलग पहचानी जा सकती है :
[2009]
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(c) रचना की दृष्टि से पुराने द्विबीजपत्री जड़ को द्विबीजपत्री स्तम्भ से आदि दारु की स्थिति के अनुसार अलग किया जाता है। द्विबीजपत्री जड़ में आदि दारु संवहन पुल के किनारे की ओर होता है तथा द्विबीजपत्री स्तम्भ में यह संवहन पुल के केंद्र के पास होता है यानि कि दारु अन्तः आदिदारुक होता है।
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