सहकारी समिति का सदस्य कोई भी उत्पादक हो सकता है। जिन उत्पादकों के हितों के लिए समिति बनती है उन्हीं से जुड़े उत्पादक उस समिति के सदस्य बनते हैं। जैसे- दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति में केवल दुग्ध उत्पादक ही सदस्य बन सकते हैं। ये सदस्य मिलकर अपने हितों व अपनी आर्थिक उन्नति के लिए मिल-जुलकर प्रयास करते हैं। इससे लाभ यह होता है कि समिति के सदस्य शोषण, व्यर्थ की परेशानियों और अपने उत्पाद को बेचने के भागमभाग से बच जाते हैं। उनकी आर्थिक दशा सुधरने लगती है।