मौलिक अधिकार व्यर्थ है अगर इन्हें माननेवाला और लागू करनेवाला न हो। संभव है कि कई बार हमारे अधिकारों का उल्लंघन कोई व्यक्ति या कोई संस्था या फिर स्वयं सरकार ही कर रही हो । अगर हमारे किसी भी अधिकार का उल्लंघन होता है तो हम अदालत के जरिए उसे रोक सकते हैं।
अगर मामला मौलिक अधिकारों का हो तो हम सीध सर्वोच्च न्यायालय या किसी राज्य के उच्च न्यायालय में जा सकते हैं। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय को आदेश या ‘रिट’ जारी करने का अधिकार है । यह संवैधानिक उपचार है जिससे नागरिक अपने मौलिक अधिकारों को बचा सकते हैं।