यद्यपि सरकार जरूरत के हिसाब से पानी मुहैया नहीं कर पा रही है और बहुत सारे जल विभाग घाटे में चल रहे हैं, तथापि सस्ती और समतापरक जलापूर्ति सरकार ही कर सकती है, निजी कंपनियाँ नहीं। निजी कंपनियाँ अपना कार्य लाभ के लिए करती हैं। यदि जलापूर्ति का काम निजी कंपनियों से कराया जायेगा तो जलापूर्ति महंगी हो जायेगी और गरीब तथा निम्न वर्ग के लोगों के लिए इसकी कीमत चुकाना आसान नहीं रहेगा। इससे जलापूर्ति में भेदभाव और बढ़ जायेगा। इसलिए जलापूर्ति का काम निजी कंपनियों को नहीं सौंपा जाना चाहिए।
निम्नलिखित तथ्यों से भी यह कहा जा सकता है कि जलापूर्ति का काम सरकार द्वारा ही किया जाना चाहिए-
(1) दुनिया भर में जलापूर्ति की जिम्मेदारी सरकार पर रही है। निजी जलापूर्ति व्यवस्था के उदाहरण बहुत कम हैं। जहाँ जलापूर्ति की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंपी गई, वहाँ पानी की कीमतों में भारी इजाफा हुआ। इस कारण वहाँ बहुत सारे लोगों के लिए पानी का खर्च उठाना संभव नहीं हो पाया। ऐसे शहरों में लोगों के विशाल प्रदर्शन हुए। बोलीविया आदि देशों में तो दंगे भी फैल गये जिसके दबाव में सरकार को जलापूर्ति व्यवस्था निजी हाथों से छीन कर दोबारा अपने हाथों में लेनी पड़ी।
(2) दुनिया में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ सार्वभौमिक जलापूर्ति सब लोगों तक पहुँच चुकी है। जैसे- ब्राजील के पोर्तो एलेग्रे शहर में। भारत में भी जल विभागों की सफलता के कई उदाहरण हैं; जैसे - मुंबई जलापूर्ति विभाग, हैदराबाद का जलापूर्ति विभाग, चेन्नई के जल विभाग द्वारा टैंकरों को अनुबंधित करना आदि। अन्य शहरों के जलापूर्ति विभाग भी अपनी व्यवस्थाओं में सुधार करके, अपनी व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाकर, जनसहभागिता को साथ लेकर इस समस्या को सुलझा सकते हैं।