ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आंदोलन दूसरा जन-आंदोलन था, जिसके कारण निम्नलिखित हैं
साइमन कमीशन का विरोध-इस कमीशन का उद्देश्य संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था परन्तु भारत में इसके विरुद्ध त्वरित एवं तीव्र प्रतिक्रिया हुई।
सांप्रदायिकता की भावना को उभरने से बचाने के लिए।
विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा पड़ा। पूरे देश में सरकार के खिलाफ वातावरण बन गया।
वामपंथी दबाव को संतुलित करने हेतु एक आन्दोलन के एक नए कार्यक्रम की आवश्यकता थी।
पूर्ण स्वराज्य की माँग के लिए 31 दिसम्बर, 1929 की मध्य रात्रि को रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया तथा स्वतंत्रता की घोषणा का प्रस्ताव पढ़ा। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। इस प्रकार पूरे देश में उत्साह की एक नई लहर जग गई जो आंदोलन के लिए तैयार बैठी थी।
इरविन द्वारा गाँधी से मिलने से इनकार करने के बाद बाध्य होकर गांधी जी ने ‘दांडी-मार्च’ द्वारा अपना आंदोलन शुरू किया ?
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*