उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली (त्रिस्तरीय प्रणाली)को विस्तार से समझायें।
स्वाध्याय
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था की गयी है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है
  • राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
  • राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग।
  • जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)।
उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक व्यवस्था है जिसमें जिला * मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गयी है।

यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यावहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित (जल्दी) एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है और समय एवं धन की बचत होती है। जिस तरह आदालतों में मुकदमे दायर होते हैं उसी तरह उनकी सुनवाई की होती है। पहले शिकायत जिला फोरम में की जाती है। शिकायतकर्ता अगर संतुष्ट नहीं है, तो मामला को राज्य फोरम फिर राष्ट्रीय फोरम में ले जा सकता है। पुनः अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में अपील कर सकता है।
अतः सरकार त्रिस्तरीय प्रणाली द्वारा उपभोक्ता शिकायतों का निवारण करती है और उसे हर संभव न्याय देती है।
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