वे एलील जो अपनी विषमयुग्मजी अवस्था में स्वतन्त्र प्रभाव उत्पन्न करते हैं, कहलाते हैं :-
[1996]
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(a) प्रबलता (एपिस्टेसिस) नान एलीलिक जीव द्वारा अन्य जीन के सामान्य दर्शरूप के संदमन को कहते हैं। पूरक जीन्स दो स्वतन्त्र जीन होते हैं जो कि भिन्न जीन स्थलों पर स्थित होते हैं तथा किसी विशेषक को अभिव्यक्त करने में एक दूसरे की सहायता करते हैं। सम्पूरक जीन्स दो स्वतन्त्र जीन्स होते हैं जों भिन्न जीन स्थलों पर होते हैं तथा प्रत्येक अपना विशेषक उत्पन्न कर सकता है तथा जब प्रभावी अवस्था में उपस्थित हो तो प्रतिक्रिया करके नया विशेषक उत्पन्न करते हैं।
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