विभिन्न प्रकार के भारतीय वनों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें। इनमें किसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और क्यों ?
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धरातलीय स्वरूप, मिट्टी और जलवायु की दशाओं में विविधता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार के हैं
  1. चिरहरित वन या सदाबहार वन
  2. पर्णपाती वन या पतझड़ वन
  3. पर्वतीय वन या कोणधारी वन
  4. डेल्टाई वन. या ज्वारीय वन
  5. कंटीले वन या मरुस्थलीय वन
1. सदाबहार वन- भारत में सदाबहार वन सघन होते हैं। इन्हें काटना, वनों से बाहर निकालना और उपयोग में लाना कठिन होता है। इनकी लकड़ी कड़ी होती है। इनमें कई जाति के वृक्ष एक साथ मिलते हैं। अधिक वर्षा और दलदली भूमि के कारण यातायात में कठिनाई होती है। इसलिए लकड़ियों का सही उपयोग नहीं हो पाता है। इनमें एबॉनी और महोगनी मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं।
2. पतझड़ वन-ये आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें सागवान और साल मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं। अन्य वृक्षों में अंजन, चंदन, चिरौंजी, हरे-वहेड़ा, आँवला, शहतूत, बरगद, पीपल, कटहल, आम, जामुन, नीम, नारियल, बाँस मानसूनी वन के रूप में पाये जाते हैं। ये न तो अधिक घने होते हैं और न इनकी लकड़ी अधिक कठोर ही। इनकी लकड़ियाँ उपयोगी होती हैं।
3. कोणधारी वन-यह वन पर्वत के अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इनमें देवदार, चीड़, हेमलॉक स्फुस जाति के पेड़ पाए जाते हैं। इनकी लकड़ियाँ मुलायम होती हैं। इन्हें काटना और उपयोग में लाना आसान होता है।
4. ज्वारीय वन तटीय भागों में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। इनमें वृक्षों की बहुतायत रहती है। लकड़ियाँ जलावन और छोटी नाव बनाने के काम आती हैं। इनमें सुन्दरी वृक्ष, केवड़ा, मैंग्रोव, हिरिटिरा गरोन आदि मुख्य वृक्ष हैं, ताड़ और नारियल के पेड़ भी मिलते हैं।
5. मरुस्थलीय वन-यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इनमें बबूल एवं खजूर के पेड़ पाए जाते हैं। नागफनी और कैकटस जाति की झाड़ियाँ भी पायी जाती हैं।
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