विद्युत् मोटर का नामांकित चित्र-
विद्युत् मोटर का सिद्धान्त एवं कार्यविधि:
सिद्धान्त:
विद्युत् मोटर विद्युत् धारा के चुम्बकीय प्रभाव के सिद्धान्त पर फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है।
कार्यविधि:
जब चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखी धारावाही कुण्डली ABCD में वामावर्त दिशा में विद्युत् धारा अर्थात् भुजा AB में A से B की ओर तथा CD में C से D की ओर बहती है तो फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम के अनुसार AB एवं CD पर विपरीत दिशा में बल लगेंगे जो AB को अधोमुखी तथा CD को उपरमुखी विस्थापित करेगा। आधे घूर्णन के बाद AB एवं CD में धारा की दिशा में परिवर्तन हो जायेगा। इससे CD अधोमुखी एवं AB उपरमुखी विस्थापन करेगा। इस प्रकार कुण्डली एक दिशा में लगातार घूमती रहेगी।
विभक्त वलय का महत्व:
विभक्त वलय कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा उसकी भुजाओं AB तथा CD में क्रमश: B से A तथा D से C की बदलकर दिक् परिवर्तक का कार्य करते हैं जिससे कुण्डली लगातार एक ही दिशा में घूमती रहती है।