(i) कच्चे माल की उपलब्धता वस्त्रोद्योग हेतु कच्चे माल की उपलब्धता महत्त्वपूर्ण कारक है । समुद्री हवाओं और नमी के कारण गुजरात, महाराष्ट्र में अच्छी गुणवत्ता के कपास कच्चे माल के रूप में उपलब्ध होती है। गुजरात की काली मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए काफी उर्वर है। ऊन से बनने वाले कम्बल, स्वेटर आदि गर्म कपड़े पंजाब कश्मीर में ज्यादा उपलब्ध हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में भारी संख्या में ऐसे जानवर पाये जाते हैं।
(ii) परिवहन की सुविधा-वस्त्रों से संबंधित उत्पादन क्षेत्र निर्यात व आयात करने के लिए मुम्बई, कोलकाता, सौराष्ट्र, कोयम्बटूर (तमिलनाडु) इत्यादि बन्दरगाहों, सड़क, रेलमार्गों व वायुमार्गों से नजदीक अवस्थित है। इससे कच्चा व तैयार माल सम्पूर्ण देश में पहुँचाया जाता है । साथ ही यूरोपीय देशों से आधुनिक मशीनें भी आयात करने में सुविधा होती है।
(iii) जलवायु-वस्त्र उद्योग के लिए नम जलवायु आवश्यक है। अंगर . जलवायु नम नहीं होगी तो कपास के रेशे से निर्मित धागे टूटने लगते हैं। इस अवस्था में धागों में गाँठे पड़ जाएँगी तथा कपड़े की बुनावट अच्छी और मजबूत नहीं हो पायेगी। ऐसी जलवायु के अभाव में कृत्रिम रूप से आर्द्र जलवायु उपलब्ध करायी जाती है।
(iv) पूँजी की उपलब्धता-मुम्बई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे स्थानों में पर्याप्त पूँजी निवेशक उपलब्ध है। मुम्बई के प्रमुख पारसी व्यापारियों ने विदेशी व्यापार से जो धन अर्जित किया उसे वस्त्र उद्योग में लगाया, जिससे वस्त्रोद्योग को काफी विस्तार मिला।
(v) श्रम की उपलब्धता-मुम्बई की मिलों में काम करने के लिए । मजदूर, कोंकण, सतारा, शोलापुर, रत्नागिरि जैसी जगहों में आते हैं। उसी प्रकार कलकत्ता की मिलों के लिए मजदूर बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और असम से उपलब्ध होते हैं जिसके कारण इस उद्योग को विकसित होने में सुविधा हुई है।
(vi) बाजार-वस्त्र उद्योग की स्थापना बाजार को देखते हए भी की जाती है। दिल्ली, कलकत्ता, लुधियाना, कानपुर इत्यादि में स्थापित वस्त्रोद्योग की इकाईयाँ बाजार के आधार पर ही विकसित की गई हैं।
(vii) सस्ती ऊर्जा की सुविधा – मुम्बई की कपड़ा मिलों को पश्चिमी – घाट पर स्थित टाटा जल विद्युत योजना से सस्ती विद्युत शक्ति प्राप्त हो जाती है। उसी प्रकार कलकत्ता की मिलों को रानीगंज, झरिया से कोयले की प्राप्ति हो जाती है । तमिलनाडु की मिलों को पायकारा जल विद्युत योजना से सस्ती बिजली प्राप्त होती है।