(c) मूत्रण मूत्रत्याग के समान है। मूत्रत्याग या मूत्रण मूत्र त्याग की क्रियाविधि है जो कि एक प्रतिवर्ती क्रिया है। जैसे ही मूत्राशय में मूत्र इकट्ठा होता है, खिंचाव ग्राही क्रियाशील होकर उद्दीपन को मेरुजज्जु तक पहुंचते हैं। खिंचाव ग्राही की अनुपस्थिति में मूत्र जमा होकर छलकने लगेगा।