4 जून, 1845 को दोपहर दो बजे बुनकरों की एक भीड़ ठेकेदार की कोठी पहुँची। उन्होंने अधिक मजदूरी की माँग की परन्तु उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। भीड़ ने घर में घुसकर खिड़कियाँ, फर्नीचर आदि को तोड़ दिया। सेना की सहायता से ठेकेदार अपने घर लौट । इस संघर्ष के दौरान 11 बुनकरों को गोली मार दी गई।