उदयपुर के पूर्व में आहड़ (बेड़च) नदी के किनारे दो टीले दिखाई देते हैं, जिसको स्थानीय लाग धूलकोट कहते हैं। यह बस्ती पहते तांबावती के नाम से जानी जाती थी। यह ताँबे के औजारों के निर्माण का केन्द्र था। इसी कारण सम्भवतः इसका यह नाम पड़ा। 10वीं या 11वीं शताब्दी में इसे आघाटपुर के नाम से जाना जाने लगा।