राजस्थान की भूमि पर ऐसे जननायक भी हुए हैं, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के साथ ही शैक्षणिक सुधर कार्य भी किए। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं
1. भोगीलाल पण्ड्या: ये सन् 1904 में डूंगरपुर में जन्मे। इन्होंने डूंगरपुर में विद्यालय की स्थापना की। इसके अतिरिक्त इन्होंने प्रौढ़ों के लिए भी पाठशाला स्थापित की, वह आगे चलकर वागड़ सेवा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
2. नाना भाई खांट, सेंगा भाई, कालीबाई: नाना भाई खांट डूंगरपुर में जन-जागृति हेतु सेवा संघ द्वारा खोली गई पाठशाला के संचालक थे, उसी पाठशाला में सेंगाभाई अध्यापक थे। जबकि कालीबाई पाठशाला में पढ़ने वाली 13 वर्षीय भील कन्या थी। महारावल को पाठशाला द्वारा पठन-पाठन पसंद नहीं था, अतः उसने उसे बंद करवाने हेतु पुलिस भेजा । नाना भाई द्वारा मना किए जाने पर पुलिस ने उनकी हत्या कर दी। बीच-बचाव करने पर सेंगा भाई को पहले तो पीटा गया। फिर रस्सी से बाँधकर गाड़ी से खींचा गया, यह देख कालीबाई ने दांतली से अपने गुरु की रस्सी काट दी। इस पर पुलिस ने उस बालिका पर गोलियाँ चलाईं। अल्पायु में कालीबाई शहीद हो गयी। इस प्रकार, नाना भाई खांट, सेंगा भाई व कालीबाई ने शिक्षा हेतु त्याग किया।
3. करणी सिंह: बीकानेर रियासत के महाराजा करणी सिंह का जन्म 1924 ई. में हुआ था। इनके द्वारा बालिका शिक्षा हेतु सराहनीय प्रयास किए गए। इन्होंने सहशैक्षिक गतिविधियों के उन्नयन हेतु खेलकूद, निशानेबाजी आदि को प्रोत्साहित किया एवं छात्रवृत्ति की शुरुआत की।
4. हीरालाल शास्त्री: इनका जन्म जयपुर के जोबनेर में एक कृषक परिवार के घर 24 नवम्बर, 1899 में हुआ। समाज सेवा की भावना से ये बचपन से ओत-प्रोत थे। सन् 1929 में इन्होंने दूरस्थ एवं पिछड़े गाँव वनस्थली को अपना कार्यक्षेत्र चुना। यहाँ इन्होंने जीवन कुटीर नामक संस्था स्थापित की। ये आगे चलकर प्रजामंडल में भी सक्रिय रहे तथा 1948 ई. में जयपुर स्टेट के एवं 30 मार्च, 1949 को राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी पत्नी के सहयोग से वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना भी की।
5. श्रीमती रतन शास्त्री: इन्हें महिला शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। इन्होंने हीरालाल शास्त्री के सहयोग से वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना की। महिला एवं बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान एवं सराहनीय कार्य करने हेतु इन्हें विभिन्न सम्मानों से पुरस्कृत किया गया। जिनमें से प्रमुख हैं—पद्मश्री, पद्मभूषण एवं जमनालाल बजाज अवार्ड।
6. किशोरी देवी: इनका जन्म झुंझुनूं जिले के दुलारों का बास गाँव में हुआ था। ये स्वतंत्रता सेनानी एवं सामजिक कार्यकर्ता थीं। 1938 ई. में इनके पति सरदार हरलाल सिंह को झूठे मुकदमे में फंसाकर वहाँ के जागीरदार ने कारावास में डाल दिया। जिसका विरोध करने के लिए किशोरी देवी ने आंदोलन चलाया। उन्होंने महिलाओं का समूह बनाकर जयपुर में सत्याग्रह भी किया। इसके अतिरिक्त, महिलाओं के उत्थान हेतु कई समाज सुधार कार्य भी किए।
7. मामा बालेश्वर दयाल: इनका जन्म 10 मार्च, 1905 को हुआ तथा ये राजस्थान में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काफी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने भील जनजाति के उत्थान हेतु विशेष कार्य किया। इस हेतु उन्होंने जल, जंगल और जमीन नामक प्रमुख आंदोलन चलाया।