गीता के भाई गलत थे। पिता की संपत्ति में सभी संतान का बराबर का हिस्सा होता है। अत: गीता को भी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए था । अत: गीता सही थी। उसकी माँग सही थी । उसे भी अपने पिता की संपत्ति में से हिस्सा मिलना चाहिए था । यदि उसके भाई उसे स्वेच्छा से कुछ कम राशि भी दे देते तो वह खुशी से वह स्वीकार कर संतोष कर लेती ।
पर भाइयों ने उसे कुछ भी रकम नहीं दिया तो अदालत ने उसे बराबर का भागीदार बना अच्छी बल्कि भाइयों के समान राशि ही दिलवा दी। अतः मेरी समझ में गीता के भाई गलत थे और गीता सही थी।