मनुष्य अच्छा जीवन जीना चाहता है। प्रत्येक नागरिक के जीवन का मुख्य लक्ष्य सुखमय जीवन की प्राप्ति है। समाज के सभी लोगों को ये सुविधाएँ चाहिए इसलिए माँगे गए दावे तार्किक एवं विवेकपूर्ण होना चाहिए । इन दावों को सब पर समान रूप से लागू किया जाने वाला होना चाहिए तथा जिसे कानून द्वारा मान्यता हो वह अधिकार हो जाता है । यह अधिकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में ही संभव है। अतः लोकतांत्रिक राज्य का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह अपने नागरिकों के व्यक्तित्व के विकास या सर्वांगीण विकास के लिए उचित अधिकार दें । वास्तव में नागरिकों के लिए अधिकार एक अवसर है, इसके अभाव में मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता । यह सरकार एवं अन्य लोगों के अत्याचार से सुरक्षा प्रदान करता है।