अम्ल को तनुकृत करते समय यह अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में क्योंकि जल को सांद्र अम्ल में मिलाने से वह तीव्र अभिक्रिया कर अत्यधिक ऊष्मा का क्षेपण करते है। इसके कई दुष्परिणाम हो सकते है। परन्तु जब अम्ल को धीरे-धीरे जल में मिलाया जाता है तो इतनी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न नहीं होती है की वो हमें कोई क्षति पहुँचाए। इसलिए हमें कभी भी जल को अम्ल में नहीं मिलाना चाहिए बल्कि हमें अम्ल को जल में मिलाना चाहिए।